तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की आज तीसरी पुण्यतिथि है। सारा देश उन्हें नमन कर रहा है। नीति सिद्धांत, विचार एवं व्यवहार की सर्वोच्च चोटी पर रहते हुए सदैव जमीन से जुड़े रहने वाले नेता रहे। उन्होंने राजनीति में कभी छोटे मन से काम नहीं किया।
उनकी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित तमाम नेताओं ने सोमवार को “सदैव अटल” स्मृति स्थल जाकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई मंत्रियों और नेताओं ने दिल्ली में “सदैव अटल” स्मृति स्थल पर आयोजित प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया और स्मृति स्थल पर पुष्प चढ़ाकर नमन किया।
उपराष्ट्रपति नायडू ने वाजपेयी के कथन – भारत कोई जमीन का टुकड़ा भर नहीं है बल्कि एक जीती जागती वास्तविकता है का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया, “देश के पूर्व प्रधानमंत्री तथा हमारे प्रिय नेता श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की पुण्य तिथि पर उनकी स्मृति को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।” उन्होंने कहा, “अटल जी हमारी पीढ़ी के दूरदर्शी राजनेता, ओजस्वी वक्ता, विद्वान साहित्यकार, राष्ट्रवादी संवेदनशील कवि तथा प्रखर सांसद रहे। अटल जी ने अपना सारा जीवन राष्ट्र की निःस्वार्थ सेवा में समर्पित कर दिया, आपने सुशासन के प्रामाणिक मानदंड स्थापित किए।” उन्होंने आगे कहा, “राष्ट्र निर्माण में आपका योगदान सदैव आदरपूर्वक याद किया जाएगा।”
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “हम उनके शानदार व्यक्तित्व को याद करते हैं, हम उनके प्यारे स्वभाव को याद करते हैं, हम उनकी बुद्धि और हास्य को याद करते हैं, हम राष्ट्रीय प्रगति में उनके योगदान को याद करते हैं। उन्होंने कहा, अटल जी हमारे और देशवासियों के दिल-दिमाग में रहते हैं। आज उनकी पुण्य तिथि पर सदैव अटल जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।”
अटल बिहारी वाजपेयी ने 2005 में ही सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था। प्रखर वक्ता रहे वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की अमिट छाप छोड़ी, जिसने भारतीय राजनीति को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया। इनमें भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न बनाना, पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश में बस डिप्लोमेसी, कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाना, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के साथ-साथ कई दूसरी उपलब्धियां शामिल हैं।
बीजेपी के रहे पहले अध्यक्ष
भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 1968-1973 तक इसके अध्यक्ष रहे। भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष रहे वाजपेयी की देशभर में उनकी लोकप्रियता का ही नतीजा था कि वे चार दशक तक भारतीय संसद के सदस्य थे। वे इकलौते राजनेता थे, जिन्होंने चार राज्यों की छह लोकसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर और विदिशा के साथ दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनावी जीत हासिल की।
राजग की ओर से पहले प्रधानमंत्री चुने गए अटल बिहारी वाजपेयी
कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्र धर्म सहित कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर अपना सफर शुरू करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के पद पर पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने 24 दलों की गठबंधन की सरकार बनायी थी, जिसमें 81 मंत्री थे।
अटल जी के कार्यकाल में अंतरिक्ष में लहराया परचम
भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी ने कई इतिहास रचे हैं। अटल जी ने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया। इसी का नतीजा था देश की सुरक्षा और दुश्मनों की हिमाकत को रोकने के लिए अटल जी के शासन काल में 1998 में, भारत ने एक सप्ताह में पांच परमाणु परीक्षण किए थे। कहना गलत नहीं होगा कि अटल जी ने ही भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया। इसके बाद वाजपेयी सरकार में ही चंद्रयान -1 परियोजना पारित की गई। भारत के 56 वें स्वतंत्रता दिवस पर, उन्होंने कहा, “हमारा देश अब विज्ञान के क्षेत्र में उच्च उड़ान भरने के लिए तैयार है। मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि भारत 2008 तक चंद्रमा के लिए अपना स्वयं का अंतरिक्ष यान भेज देगा। इसे चंद्रयान नाम दिया जा रहा है”।
गौरतल हो कि भारत अब 2008 को पहले चांद मिशन के तहत चंद्रयान-1 और 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था और भारत अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है।
अटल जी ने देश सेवा के दौरान जो दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। जब तक तन में ऊर्जा बची रही, तब तक वे सेवारत रहे। कर्तव्य पथ पर चलते-चलते अटल जी अब थकने लगे थे। 93 वर्ष की आयु में आखिरकार 16 अगस्त, 2018 को उनका देहावसान हो गया। उनकी याद में ‘सदैव अटल’ नाम से स्मृति स्थल का निर्माण किया गया।