
Indian Biological Data Center’ (IBDC): केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में लाइफ साइंस डेटा- ‘इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर’ (IBDC) के पहले राष्ट्रीय भंडार कोष का नवनिर्माण किया है। भारतीय जैविक डेटा केंद्र जीवन विज्ञान डेटा के लिए भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने 10 नवंबर को रिपॉजिटरी का उद्घाटन हरियाणा के फरीदाबाद में किया।
बायोटेक-प्राइड के दिशा-निर्देशों के अनुसार भारत में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान केन्द्रों से प्राप्त डेटा को आईबीडीसी के तहत कलेक्ट किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
बायोटेक-प्राइड (डेटा एक्सचेंज के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना) गाइडलाइन जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था।
क्या है भारतीय जैविक डेटा केंद्र
-भारतीय जैविक डेटा केंद्र जीवन विज्ञान डेटा के लिए भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार है।
-इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के सहयोग से स्थापित किया गया है।
-इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), भुवनेश्वर के डेटा ‘आपदा रिकवरी’ साइट के साथ क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB) के सहयोग से स्थापित किया गया है।
-बायोलॉजिकल डेटा सेंटर’ की डेटा भंडारण क्षमता लगभग 4 पेटाबाइट की है। और इसमें ‘ब्रह्म’ उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) सुविधा भी है।
-यह पर शोधकर्ताओं के लिए IBDC में कम्प्यूटेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी सुविधा प्रदान की गयी है।
-यह देश में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान से उत्पन्न सभी जीवन विज्ञान डेटा को संग्रहीत करेगा।
-मंत्रालय ने कहा है, इस डेटा सेंटर पर यूजर अपनी रिक्वेस्ट support@ibdc.rcb.res.in पर भेज कर इस डेटा केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।
नेशनल रिपॉजिटरी का महत्व
-इस तरह के नेशनल रिपॉजिटरी की स्थापना से देश में बायोलॉजिकल डेटा के कलेक्शन की सुविधा प्रदान होगी साथ ही इन डेटा का एक्सेस भी आसान होगा
FAIR (Findable, Accessible, Interoperable and Reusable) सिद्धांत के आधार पर जीवन विज्ञान डेटा के भंडारण और साझा करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं का विकास करना।
-इन डेटा के एक स्थान पर कलेक्शन से इनका उपयोग किसी भी कार्य में आसानी से किया जा सकता है।
न्यूक्लियोटाइड डेटा सबमिशन सर्विस के कार्य
चूंकि जीवन विज्ञान डेटा अत्यधिक जटिल और विषम है, IBDC को एक मॉड्यूलर फैशन में विकसित किया जा रहा है। इसका मतलब है कि अलग-अलग सेक्शन अलग-अलग तरह के डेटा सेट से डील करते हैं। इसलिए आईबीडीसी ने दो डेटा पोर्टलों की मदद से न्यूक्लियोटाइड डेटा सबमिशन सर्विस भी शुरू की है-
(1) ‘इंडियन न्यूक्लियोटाइड डेटा संग्रहालय (INDA)और
(2) ‘इंडियन न्यूक्लियोटाइड डेटा आर्काइव-कंट्रोल्ड एक्सेस (INDA-CA)
-इस तरह की देश भर में 50 से अधिक शोध प्रयोगशालायें है। ये सेंटर 2,08,055 सबमिशन के साथ 200 बिलियन से अधिक आधार एकत्रित कर चुके है।
ये केंद्र आईएनएसएसीओजी (INSACOG) प्रयोगशालाओं द्वारा प्राप्त जीनोमिक निगरानी डेटा के लिए ऑनलाइन ‘डैशबोर्ड’ की भी व्यवस्था करता है।
-डैशबोर्ड की मदद से भारत भर में अनुकूलित डेटा सबमिशन ओर उनका एक्सेस, डेटा विश्लेषण सेवाएं और रीयल-टाइम एक्सेस प्रदान किया जाता है।
-अन्य डेटा प्रकारों के लिए भी डेटा सबमिशन और एक्सेस पोर्टल विकसित किए जा रहे हैं और उन्हें शीघ्र ही प्रारम्भ कर दिया जाएगा।