अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं की सैन्य गतिविधियों की निगरानी करेगी नई ड्रोन यूनिट

भारत आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर लगातार अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं की चौकसी बढ़ा रहा है। चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिविधियों का विशेष ध्यान रख रहा है। इसके लिए पूर्वी लद्दाख सेक्टर और सिक्किम के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन्नत निगरानी क्षमताओं और लंबे समय तक टिके रहने वाले नए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं। यह ड्रोन लगातार 48 घंटे तक उड़कर मिशन को अंजाम देने में सक्षम हैं।

उपग्रह संचार से जुड़े ड्रोन होंगे तैनात

भारतीय सुरक्षा बल सीमाओं की निगरानी के लिए टेक्नोलॉजी का समुचित उपयोग करने को तैयार हैं। आज के समय में उपलब्ध तरह-तरह की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल सेनाओं को सशक्त बनाने के लिए किया जा रहा है। इन्ही पहलों के अंतर्गत अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं साथ-साथ इसके आसपास के क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन्नत निगरानी क्षमताओं और लंबे समय तक टिके रहने वाले नए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं। भारतीय सेना ने इन ड्रोन को उपग्रह संचार के साथ लिंक किया है और इनके सेंसर कहीं अधिक उन्नत हैं। उपग्रह संचार के साथ लिंक होने कारण इन ड्रोन के माध्यम से रियल टाइम में निगरानी करने में सेनाओं को सहूलियत मिलेगी।

सैन्य गतिविधियों पर रखी जा रही कड़ी नजर

भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र तक एलएसी के पार सैन्य गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है। 2020 में गलवान घाटी के हिंसक संघर्ष के बाद भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी क्षमताओं को कई गुना बढ़ा लिया है। नए ड्रोन यूनिट की तैनाती इसी रणनीति का एक हिस्सा हैं। यह ड्रोन मारक क्षमताओं से लैस नहीं हैं, लेकिन उनके पास उन मानकों पर अपग्रेड किए जाने का विकल्प है। ड्रोन की एक स्क्वाड्रन पूर्वी लद्दाख सेक्टर के करीब और दूसरी पूर्व में चिकन नेक सेक्टर के करीब तैनात किये जाने की योजना है।

प्रोजेक्ट चीता से अपग्रेड किए जा रहे ड्रोन

इसके अलावा भारत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता पर भी काम कर रहा है, जिसके तहत सुरक्षा बल इजरायली मूल के हेरोन के अपने मौजूदा बेड़े को बेहतर संचार सुविधाओं और मिसाइलों के साथ अपग्रेड कर रहे हैं। यह इजरायली ड्रोन लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। इस परियोजना को इजरायली कंपनियों के सहयोग से भारतीय फर्मों के साथ मुख्य भूमिका में पूरा किया जाना था। वायु सेना इस परियोजना में नेतृत्व की भूमिका में है, जिसके तहत नौसेना और सेना में इजरायली ड्रोन को भी स्ट्राइक क्षमताओं और बेहतर निगरानी और टोही पॉड्स के साथ अपग्रेड करने की योजना है।

स्नूपिंग क्षमताओं से लैस होगी नई ड्रोन यूनिट

पूर्वी लद्दाख से लेकर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र तक तैनात की गई नई ड्रोन यूनिट को स्नूपिंग क्षमताओं के साथ अपग्रेड किया गया है। इसलिए जमीनी बल भी उन क्षेत्रों में छिपे हुए ठिकानों के बारे में सटीक खुफिया जानकारी हासिल करने में सक्षम होंगे, जहां ऑपरेशन किया जाना है। अपग्रेडेड ग्राउंड स्टेशन इन ड्रोन्स को दूर से संचालित करने और उपग्रह संचार प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित करने में भी सक्षम होंगे।

 


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