कैक्टस रोपण से जैव-ईंधन, खाद्य और जैव-उर्वरक को मिलेगा बढ़ावा

जैव-ईंधन और जैव-उर्वरक के उत्पादन में कैक्टस के व्यवसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए के लिए कैक्टस रोपण पर नई दिल्ली में अहम बैठक हुई। जहां एक तरफ कैक्टस रोपण से कम उर्वरक भूमि अधिक उपजाऊ होगी वहीं दूसरी तरफ कैक्टस  रोपण से जैव-ईंधन उत्पादन से देश में ईंधन आयात पर निर्भरता कम होगी। कैक्टस के पौधे से आर्थिक लाभ के लिए देश - विदेश में बैठक और चर्चा हो रही है। आइए जानते है क्या है कैक्टस और इसके लाभ..........

कैक्टस रोपण और इसके आर्थिक उपयोग पर हुई बैठक

कैक्टस रोपण और इसके आर्थिक उपयोग के विषय पर नई दिल्ली में एक परामर्श बैठक आयोजित हुई। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने की। इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि जैव-ईंधन, खाद्य और जैव-उर्वरक संबंधी इसके उपयोग के लाभों को साकार करने के लिए कम उर्वर भूमि पर कैक्टस के रोपण से जुड़े विभिन्न विकल्पों का पता लगाना जरुरी है।

इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चिली, मैक्सिको, ब्राजील, मोरक्को, ट्यूनीशिया, इटली, दक्षिण अफ्रीका और भारत जैसे विभिन्न देशों के राजदूत और विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया।

कैक्टस रोपण से कम उर्वर भूमि में होगा सुधार

कैक्टस के रोपण से देश में कम उपजाऊ या परती भूमि को अधिक उपजाऊ भूमि बनाने में सहायता होगी। इसके साथ ही गर्मियों में कैक्टस को पशुओं को खिलाकर उन्हें डिहाइड्रेशन से भी बचाया जा सकता है। इससे देश में जैव-ईंधन, खाद्य और जैव-उर्वरक के उत्पादन में बढ़ावा होगा। इससे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड क्षेत्रों के किसानों को रोजगार और आय में भी सहयोग होगा।

जानिए कैक्टस रोपण से होने वाले लाभ

कैक्टस के पौधों से देश में ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ और ‘सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी)’ को प्राप्त करने में मदद होगी। कैक्टस रोपण से जैव-ईंधन और जैव-उर्वरक के क्षेत्रों में गरीब किसानों के लिए रोजगार और आय में लाभ होगा। इसके अलावा इससे देश पर ईंधन आयात का बोझ भी कम होगा।

फि‍लहाल चिली, मैक्सिको, ब्राजील, मोरक्को और कई अन्य देशों के अनुभवों को परखा जा रहा है कि कैक्टस जैव-ईंधन, भोजन, चारा और जैव-उर्वरक के उत्पादन के लिए काफी मददगार होगा।

कैक्टस क्या है

कैक्टस एक जेरोफाइटिक पौधा है। कैक्टस की खेती रेगिस्तान में अधिक होती है, लेकिन ये पानी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। यह अपेक्षाकृत बहुत धीमी गति से बढ़ता है। कैक्टस कम उर्वर भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने में सहायता करता है। कैक्टस के पौधे परती भूमि वाले क्षेत्रों के किसानों द्वारा उगाए जाते हैं। इनसे होने वाला लाभ उनकी आय के मौजूदा स्तर से कही अधिक होता है। यह भारत के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 30 प्रतिशत भाग में निम्न स्तर के भूमि की श्रेणी में होता है। कैक्टस का पौधा घर को सजाने के लिए सजावटी पौधों के रुप में भी लोकप्रिय हो रहा है।

बता दें कि कैक्टस रोपण के अलावा कई अन्य पौधों से जैव ईंधन के उत्पादन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा शुष्क भूमि क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के सहयोग से मध्य प्रदेश में एक पायलट परियोजना स्थापित की जा रही है। इस उद्यम में पेट्रोलियम मंत्रालय आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

 


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