केंद्रीय कैबिनेट ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को दी मंजूरी

पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक के संबंध में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है। इस मिशन के माध्यम से प्रतिवर्ष 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा। आने वाले समय में इस फैसले से पीएम मोदी के विजन के अनुरूप भारत ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में ग्लोबल हब बनेगा।

19,744 करोड़ रुपए की मिली मंजूरी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे यह भी बताया कि इस मिशन में स्वीकृत कुल राशि में से 8 लाख करोड़ रुपए का सीधा निवेश होगा। इस निवेश से ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में इसमें 6 लाख नौकरियों का सृजन होगा। साथ ही इससे 50 मिलियन टन ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा।

सालाना 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का होगा उत्पादन

केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत 2030 तक सालाना 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। इसको गति देने के लिए हाइड्रोजन से संबंधित उत्पादक और उपभोक्ता को एक छत के नीचे लाने के लिए हरित हाइड्रोजन केंद्र विकसित किया जाएगा। इससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आएगी और जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी एक जगह उपलब्ध कराया जा सकेगा।

इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण को मिलेगा बढ़ावा

इसके साथ ही देश में इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण को लेकर पांच साल के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि 60-100 गीगावाट की इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता को तैयार किया जाएगा। इलेक्ट्रोलाइजर की मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर 17,490 करोड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ग्रीन हाइड्रोजन के हब को विकसित करने के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया है।

हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट को भी मिली मंजूरी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों में हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट को भी मिली मंजूरी भी काफी अहम रही। इस विषय पर बात करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि 382 मेगावाट के सुन्नी बांध हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के लिए मंजूर किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि 2,614 करोड़ रुपए की लागत से सतलुज नदी पर बनाया जाएगा।

क्लाइमेट चेंज के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहा भारत

क्लाइमेट चेंज के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की देश और दुनिया ने काफी प्रशंसा की है। क्लाइमेट चेंज के क्षेत्र में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पीएम मोदी ने यह लक्ष्य निर्धारित किया था कि देश की ऊर्जा की इंस्टाल्ड कैपेसिटी का 40% नॉन फॉसिल ऊर्जा स्रोतों पर आधारित हो। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2030 तक का समय निर्धारित किया गया था, जिसे 2021 में ही पूरा कर लिया गया है। ग्रीन हाइड्रोजन प्राकृतिक रूप से एनर्जी का सबसे साफ सोर्स है, इससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है।

 


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