संघ के दृष्टिकोण में हिन्दुत्व न तो लेफ्ट है और न राइट, वह सेंटर है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)(आरएसएस) के दृष्टिकोण में हिंदुत्व (Hindutva) का मतलब क्या है? आरएसएस के तरफ से लगातार इस मुद्दे पर संघ का दृष्टिकोण स्पष्ट करने की कोशिश होती रही है। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) कई बार इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर चुके है। विजयदशमी के अपने भाषण में भी वह इस मुद्दे पर अपना विचार रख चुके है।

सरसंघचालक मोहन भागवत के बाद अब आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने भी अपने विचार रखे है। दिल्ली आरएसएस नेता राम माधव की किताब 'The Hindutva Paradigm' के लोकार्पण के मौके दत्तात्रेय होसबाले ने हिंदुत्व पर अपने विचार रखे और कहा की हिन्दुत्व न तो लेफ्ट है और न राइट, वह सेंटर है। उनका कहना था की पहले दुनिया लेफ्ट की तरफ चली गई थी या यूँ कहें की जबरन उसे लेफ्ट की तरफ ढकेला गया था। अब हालात यह है कि दुनिया राइट की तरफ जा रही है और इसलिए यह केंद्र में है। इसलिए हिंदुत्व ना तो लेफ्ट है और ना ही राइट, वह सेंटर है।'

आज ईस्ट – वेस्ट, लेफ्ट – राइट, भौगोलीकरण – उदारीकरण – निजीकरण का बंटवारा अब धुंधला और मंद पड़ गया है सब आपस में घुल मिल रहे है उनका सम्मिश्रण हो रहा है और यही है हिंदुत्व का सारांश। हिंदुत्व अपने में सबको समाहित किये हुए है। सभी विचारों में से जो अच्छा होता है उसे स्वीकार कर अपनी एवं समय की अवश्यकता तथा भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार उसे ढाल लेना यही हिंदुत्व है। यही भारतीय परंपरा एवं संस्कृति है। जिन विचारों को आज हिन्दू विचार कहा जा रहा है उन्हें 90 के दशक में भारतीय विचार कहा जाता था। हमारे यहाँ विचारों में कभी पूर्णविराम नहीं होता यानि हमने जो कह दिया वह अंतिम है। हमने इसे यहां तक लाया, अगली पीढ़ी आएगी वह उसे यहाँ से आगे बढ़ाएगी तथा अपनी समय, परिस्थिति एवं आवश्यकता के अनुसार उसकी व्याख्या करेगी। यही हिंदुत्व है।

उन्होंने कहा, ‘मैं आरएसएस से हूं, हमने कभी भी संघ के प्रशिक्षण शिविरों में यह नहीं कहा कि हम राइट विंग से हैं और हमारी कई योजनाएं लेफ्ट की योजनाओं की तरह हैं। कई राइट है। दोनों तरफ के विचारों के लिए जगह हैं। कोई विचार कभी मरता नही है क्योंकि वह मानवीय सोच से पैदा हुआ है।‘

यदि हम आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत एवं सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के बयानों का विश्लेषण करें तो पाएंगे की उसमे दूरगामी सामाजिक एवं राजनीतिक सन्देश छिपे हुए है। भारतीय वैचारिक एवं राजनीतिक विमर्श धरातल पर सेंटर यानी केंद्र के स्थान पर लम्बे समय तक कांग्रेस पार्टी का कब्ज़ा रहा है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में पिछले कुछ दशक में कांग्रेस पार्टी लगातार वाम से घोर वामपंथ यानी लेफ्ट टू फार लेफ्ट की तरह बढती चली जा रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी द्वारा खाली किये गए स्थान को संघ एवं उससे जुड़े संगठन पूर्ण रूप से कब्ज़ा कर लेना चाहते है। संघ द्वारा एक बार विमर्श के इस केंद्र में अपने आप को पूर्णरूप से स्थापित कर लेने के बाद उसे हिन्दू एकता एवं सशक्त राष्ट्र के अपने लक्ष्य को प्राप्त करना आसन हो जायेगा।  

 


More Related Posts

Scroll to Top