
भारत ने गुरुवार, 15 दिसंबर 2022 को परमाणु-सक्षम इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-V का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। मिसाइल का परीक्षण गुरुवार को ओडिशा तट के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। यह अग्नि मिसाइल श्रृंखला का नवीनतम परीक्षण था। यह मिसाइल उच्च स्तर की सटीकता के साथ करीब 5,000 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इस परीक्षण ने अग्नि-V मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाने की क्षमता को भी साबित कर दिया है। इसी के साथ सबसे शक्तिशाली और गेम चेंजर अग्नि-V को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। भारत ने इससे पूर्व 27 अक्टूबर को परमाणु सक्षम अग्नि-V मिसाइल का पहला उपयोगकर्ता परीक्षण करके इतिहास रच दिया था।
कैसा रहा अग्नि-I से अग्नि-V मिसाइल तक का सफर ?
उल्लेखनीय है कि भारत को अग्नि-I मिसाइल से लेकर अग्नि- V मिसाइल तक का सफर पूरा करने में कई साल लगे हैं। अग्नि मिसाइल की यात्रा यूं तो 1989 में शुरू हुई थी। इस मिसाइल का पहला सफल परीक्षण साल 2002 में पूरा हुआ। शुरुआत में मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-I की मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। उसके बाद अग्नि-II, अग्नि-IIIऔर अग्नि-IV मिसाइलें आईं। ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलें थीं, जिनकी मारक क्षमता 2,000 से 3,500 किलोमीटर रही। अब भारत ने 5,000 किलोमीटर रेंज की अग्नि- V का पहला परीक्षण करके पूरे विश्व को हैरानी कर दिया है।
रक्षा क्षेत्र में लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रहा भारत
इससे स्पष्ट होता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रहा है। पहले की मिसाइलों के अपेक्षा, अग्नि-V को नई तकनीकों और उपकरणों को मान्य करने के लिए परीक्षण किया गया है, जो पिछले प्रारूपों की तुलना में और हल्का है। इस मिसाइल को हल्का बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस अभ्यास का मकसद जरूरत पड़ने पर अग्नि- V मिसाइल की मारक क्षमता को बढ़ाना है।
इस परीक्षण से देश को मिलेगी कितनी मजबूती ?
परमाणु-सक्षम अग्नि- V मिसाइल भारत की रक्षा क्षमता में अब तक की सबसे शक्तिशाली वृद्धि है। दूसरे शब्दों में समझें तो यह बैलिस्टिक मिसाइल कई आयुध अपने साथ ले जाने में सक्षम है। अग्नि- V की क्षमता भारत को बाहरी खतरों के खिलाफ बेहद आवश्यक प्रतिरोध प्रदान करेगी।
आधी दुनिया रेंज में
अग्नि-V की रेंज में पूरा चीन-पाकिस्तान समेत आधी दुनिया है। केवल इतना ही नहीं इसमें पूरा रूस, यूक्रेन, इंडोनेशिया और मेडागास्कर भी है। आवाज की गति से 24 गुना अधिक तेजी से हमला करने वाली इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत अब देश के लिए खतरा बनने वाले दुनिया के किसी भी सुपर पावर मुल्क को आंखें दिखाने की स्थिति में आकर खड़ा हो गया है।
ICBM वाले 8 देशों में होगी अब भारत की गिनती
अग्नि-5 के बाद भारत की गिनती उन 8 देशों में हो गई है, जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानि ICBM है। चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली ये मिसाइल फिलहाल सेना और वायुसेना को नहीं मिली है लेकिन इससे पहले ही चीन में खौफ पैदा हो गया है। चीन की चिंता इसलिए भी है, क्योंकि 5 हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइल की रेंज में उसका पूरा देश आ रहा है।
’नो फर्स्ट यूज’ की प्रतिबद्धता के साथ परीक्षण
हालांकि सरकार ने लगातार यह कहा है कि अग्नि-V परीक्षण की सफलता भारत के ‘विश्वसनीय न्यूनतम निवारक’ होने के घोषित लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए है जो ‘नो फर्स्ट यूज’ की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अग्नि-V मिसाइल के परीक्षण से पहले, बंगाल की खाड़ी को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया था।
MIRV से लैस
अग्नि-V मिसाइल का परीक्षण इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई वारहेड ले जाने में सक्षम मल्टीपल इंडिपेंडेंट रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है। इस तकनीक से मिसाइल को प्रक्षेपण के बाद कई अलग-अलग लक्ष्यों तक परमाणु हथियारों को स्वतंत्र तरीके से भेजा जा सकता है। यह परीक्षण नई तकनीकों और उपकरणों को मान्य करने के लिए किया गया है। इस परीक्षण ने अग्नि-V मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाने की क्षमता को साबित कर दिया है। याद हो इस मिसाइल का 2018 में हैट्रिक प्री-इंडक्शन ट्रायल भी किया गया था।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अनुसार लगभग 17 मीटर लंबी, 2 मीटर चौड़ी, तीन चरणों वाली ठोस ईंधन वाली मिसाइल 1.5 टन का पेलोड ले जा सकती है और इसका वजन लगभग 50 टन है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, इजरायल और उत्तर कोरिया के बाद भारत अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल रखने वाला आठवां देश हो गया है। अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे जल, थल और नभ में कहीं से भी दागा जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं।