भारत और चीन के बीच लद्धाख में एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर बनी सहमति

रूस के कजान में होने वाले ब्रिक्स बैठक से ठीक पहले भारत और चीन के बीच लद्दाख के नजदीक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 में पैदा हुई सैन्य तनातनी का अब समाधान हो गया है। दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर हुई चर्चाओं के बाद सैन्य गश्त को लेकर सहमति बन गई है, जिसके बाद अब दोनों ओर से अग्रिम तैनाती खत्म होगी तथा 4.5 साल तक चले गतिरोध के बाद समाप्त हो जायेगा।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स यात्रा से पूर्व आयोजित पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर एक सहमति बनी है। इससे अग्रिम तैनाती खत्म होगी और अंततः 2020 में इन क्षेत्रों में उठे मुद्दे का एक समाधान निकाला जा रहा है।

भारत-चीन समझौते पर जयशंकर

समाचार चैनल एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ धैर्य की रणनीति की वजह से ही ये कामयाबी मिल सकी। इस पर सितंबर 2020 से बातचीत चल रही थी। उस समय मॉस्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद उनको लगा था कि दोनों देश 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे। हालांकि बातचीत की प्रक्रिया बहुत जटिल रही। विदेश मंत्री ने शांति की ओर बढ़ने की उम्मीद जताई.

2020 के पहले की स्थिति में लौटेंगे भारत-चीन

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहमति बहुत पॉजिटिव रही है। दोनों ही देश 2020 में गलवान झड़प से पहले वाली स्थिति में जा रहे हैं। इस सहमति का आगे कैसा असर होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।  बता दें कि विदेश मंत्री ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में एक समिट के दौरान चीन के साथ विवाद का 75% हल निकलने की बात कही थी। उन्होंने ये भी कहा था कि बॉर्डर पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है।

गौरतलब हो कि 2020 में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई झड़प में दोनों ओर से सैनिकों की मौत भी हुई थी। इसके बाद से भारत-चीन के संबंधों में खटास आई थी। बाद में विदेश मंत्रालय और सैन्य स्तर पर इस तनातनी को खत्म करने को लेकर वार्ताएं शुरू हुईं।

 


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