भारत सरकार की प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना

जनजातीय लोगों के एकीकृत सामाजिक एवं आर्थिक विकास का लक्ष्य हासिल करने हेतु जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना लागू की गई है। ताकि जनजातीय आबादी वाले गांवों को हर तरह की सुविधा और उन्हें ठोस बुनियाद ढांचा प्रदान किया जा सके इसके साथ ही समाज में व्याप्त सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अंतर को पाटा जा सके। हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय 2021-22 से 2025-26 के दौरान कार्यान्वयन के लिए 'प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई)' नामकरण के साथ 'जनजातीय उप-योजना (एससीए से टीएसएस) के लिए विशेष केंद्रीय सहायता' की मौजूदा योजना को नया रूप दिया है।

वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान कुल 16,554 गांवों को शामिल किया गया है। अब तक राज्यों को 1927 करोड़ रुपये की धनराशि पहले ही जारी की जा चुकी है और 6264 गांवों के संबंध में ग्राम विकास योजना को कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी जा चुकी है। वहीं, गुजरात में पीएमएएजीवाई के तहत कुल 3764 गांवों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 1562 गांवों के लिए ग्राम विकास योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत राज्य को कुल 35318.54 लाख रुपये जारी किए गए हैं।

जनजातीय आबादी वाले गांवों को आदर्श ग्राम में बदलना

प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य 4.22 करोड़ (कुल जनजातीय आबादी का लगभग 40 फीसदी) की जनसंख्या को कवर करने वाले महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गांवों को आदर्श ग्राम में बदलना है। इसके तहत अधिसूचित जनजातियों के साथ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कम से कम 50 फीसदी अनुसूचित जनजाति आबादी और 500 अनुसूचित जनजाति वाले 36,428 गांवों को कवर करने की बात कही गई है।

योजना के जरिए जनजातीय आबादी वाले गांवों की जरूरतों, क्षमता और आकांक्षाओं के आधार पर एक ग्राम विकास योजना तैयार करना, इसके अलावा इसमें केंद्र/राज्य सरकारों की व्यक्तिगत/पारिवारिक लाभ योजनाओं के कवरेज को अधिकतम करना और स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी (संपर्क) व आजीविका जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे में सुधार करना भी शामिल है।

योजना विकास के 8 क्षेत्रों में प्रमुखता से कमियों को कम करने की परिकल्पना करती

योजना विकास के 8 क्षेत्रों में प्रमुखता से कमियों को कम करने की परिकल्पना करती ये क्षेत्र हैं- सड़क संपर्क (आंतरिक और अंतर गांव/प्रखण्ड), दूरसंचार संपर्क (मोबाइल/इंटरनेट), विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उप-केंद्र, पेयजल सुविधा, जल निकासी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।

जनजातीय आबादी के लिये कुछ पहल:

प्रधानमंत्री वन धन योजना:

'संकल्प से सिद्धि' पहल, जिसे 'मिशन वन धन' के रूप में भी जाना जाता है, को केंद्र सरकार द्वारा भारत की आदिवासी आबादी के लिये एक स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री के उद्देश्य के अनुरूप वर्ष 2021 में प्रस्तुत किया गया था।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED) :

यह जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत एक राष्ट्रीय स्तर का शीर्ष संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य गाँवों में वन धन विकास केंद्रों (VDVKs) को सक्रिय करना है।

‘स्टैंड अप इंडिया‘ योजना

इस योजना के तहत 10 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच ऋण की पेशकश की जाती है।

जनजातीय समुदायों के कल्याण के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरे जनजातीय भाइयों और बहनों के पास बिजली, गैस कनेक्शन, शौचालय, घर तक पहुंचने वाली सड़क, निकट में एक चिकित्सा केंद्र, आस-पास के क्षेत्र में आय के साधन और बच्चों के लिए एक स्कूल के साथ अपना पक्का घर होना चाहिए।” जनजातीय आबादी वाले गांवों का विकसित होना राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है और केंद्र सरकार ने इस दिशा में पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। भारत में जनजातीय समुदाय अल्पसंख्यक समुदाय होने के बावजूद विशाल विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। भारत में जनजातीय समुदाय की अपनी विशेष संस्कृति, विशेष खानपान, भाषा और अपना एक विशाल इतिहास है, इसलिए यह जरूरी है कि जनजातीय समुदाय को मुख्यधारा में लाया जाए और उनका सर्वांगीण विकास पूर्ण रूप से से सुनिश्चित हो।

 


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