
भारत ने विगत कुछ वर्षों में ब्लू इकॉनोमी को विकसित करने के उदेश्य महासागरीय विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। इस संबंध में केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डीप ओशन मिशन (DOM) लॉन्च किया है। डीप ओशन मिशन अनेक मंत्रालयों के साथ मिलकर चलाया जा रहा एक कार्यक्रम है जिसमें गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर दिया गया है। हिंद महासागर की ब्लू इकॉनोमी को विकसित करने के भारत ‘नीली क्रांति’ के साथ मछली उत्पादन में भी उत्साहजनक वृद्धि प्राप्त कर रहा है। पीएम मोदी ने देश के किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया था तो पहली बार ‘हरित क्रांति’ और ‘श्वेत क्रांति’ के साथ ‘नीली क्रांति’ यानि ‘ब्लू इकोनॉमी’ की बात की थी और सरकार तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ रही है।
डीप ओशन मिशन से मजबूत होगी इकोनॉमी
गहरे समुद्र में खनन और खनिज संसाधनों की खोज के लिए इस मिशन की शुरुआत की गई है। इसमें प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ 6000 मीटर पानी की गहराई के लिए मानवयुक्त सबमर्सिबल का विकास शामिल है। यह मिशन गहरे समुद्र के स्थितियों जीवन अनुकूल अनु जैविक संघटको का अध्ययन करेगा , जो पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति पर प्रकाश डालने का प्रयास करेगा। यह अध्ययन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है। डीप ओशन मिशन की गतिविधियों से हिंद महासागर की ब्लू इकोनॉमी की क्षमता को विकसित करने में मदद मिलेगी।
क्या होती है ब्लू इकोनॉमी ?
भारत के कुल व्यापार का बड़ा हिस्सा समुद्री मार्ग के जरिए होता है। ऐसे में इस योजना का मकसद देश की अर्थव्यवस्था को समुद्री क्षेत्र से जोड़ना तो है ही साथ ही ब्लू इकोनॉमी का मकसद पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाना है। यानि पूरा बिजनेस मॉडल पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। नीली अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि भारत का 95 प्रतिशत से अधिक का कारोबार समुद्र के जरिये होता है। भारत सरकार के महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम से भारत में समुद्र के जरिये सामान के आवागमन तथा बंदरगाह के विकास में क्रांति आएगी। इस कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का भारी निवेश होगा।
ब्लू इकोनॉमी कैसे काम करती है ?
ब्लू इकोनॉमी के तहत सबसे पहले समुद्र आधारित बिजनेस मॉडल तैयार किया जाता है, साथ ही संसाधनों को ठीक से इस्तेमाल करने और समुद्री कचरे से निपटने के डायनामिक मॉडल पर कम किया जाता है। पर्यावरण फिलहाल दुनिया में एक बड़ा मुद्दा है ऐसे में ब्लू इकोनॉमी को अपनाना इस नजरिए से भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। ब्लू इकोनॉमी के तहत फोकस खनिज पदार्थों समेत समुद्री उत्पादों पर होता है। समुद्र के जरिए व्यापार का सामान भेजना ट्रकों, ट्रेन या अन्य साधनों के मुकाबले पर्यावरण की दृष्टि से बेहद साफ-सुथरा साबित होता है।
आम आदमी के लिए कितनी फायदेमंद ?
पीएम मोदी भी अपने बयान में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि मछुआरा समुदाय पूरी तरह से न सिर्फ समुद्री धन पर निर्भर हैं बल्कि इसके रक्षक भी हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठाए हैं। जिसके तहत समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की मदद, अलग मछली पालन विभाग, सस्ता लोन, मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है। इससे कारोबारियों और सामान्य मछुआरों को मदद मिल रही है।
मानव महासागर मिशन की भी हुई शुरुआत
भारत के तीन किनारे महासागरों से घिरे हैं, जहां देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती हैं। महासागर मत्स्य पालन, जलीय कृषि और पर्यटन आजीविका देने वाला एक प्रमुख आर्थिक कारक है। भारत सरकार ने समुद्र में और अधिक आर्थिक संभावनाओं को तलाशने के लिए पहले मानव महासागर मिशन की शुरुआत की है। इसके लिए मानवयुक्त पनडुब्बी के 500 मीटर वाले उथले जल संस्करण का समुद्री परीक्षण 2023 की शुरुआत में होने की संभावना है, जबकि मत्स्य 6000 गहरे पानी वाले मानवयुक्त पनडुब्बी, को 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा।
गहरे समुद्र अभियान को मिली स्वीकृति
पिछले वर्ष यानि 2021 में पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने और महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र अभियान को स्वीकृति दी थी। गहरे समुद्र प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के उद्देश्य से “गहरे समुद्र अभियान” पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए 5 वर्ष की अवधि की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए होगी। गहरे समुद्र परियोजना भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था पहल का समर्थन करने के लिए एक मिशन आधारित परियोजना होगी।