अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की प्रहरी बनेगी बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय'

भारत सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमाओं की चौकसी बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय सशस्त्र बलों को लगातार सशक्त बना रहा है। इसके लिए सेनाओं में आधुनिक तकनीकी प्रणाली को भारी मात्रा में शामिल किया जा रहा है। इसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है। 150 से 500 किमी. दूरी की मारक क्षमता वाले इस बैलिस्टिक मिसाइल को मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर किया जाएगा तैनात

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इन मिसाइलों को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। यह प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल 150 से 500 किमी. दूरी तक के लक्ष्यों को मार सकती हैं। सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल 500-1000 किलोग्राम का भार वहन करने में सक्षम है। इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है। प्रलय मिसाइलें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के साथ सेना में सबसे लंबी दूरी की सामरिक हथियार प्रणाली होंगी। इसे लंबी दूरी के सामरिक हथियारों को नियंत्रित करने वाली रणनीतिक बलों की कमान संचालित करती है।

दिसंबर में हुआ था परीक्षण

रक्षा मंत्रालय के अनुसार प्रलय मिसाइल का पिछले साल 21 और 22 दिसंबर को लगातार दो दिनों में दो बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। 'प्रलय' एक अर्ध-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद इसमें अपना रास्ता बदलने की क्षमता है। 'प्रलय' एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीकों से संचालित की जाती है। मिसाइल की मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं। मिसाइल को पहले भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाएगा, जिसके भारतीय सेना में शामिल किए जाने की संभावना है।

DRDO कर रहा विकसित

रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में सशस्त्र बलों के लिए मंजूरी लगभग 120 मिसाइलों को DRDO विकसित कर रहा है। ये बैलिस्टिक मिसाइलें सामरिक भूमिकाओं के लिए काफी अहम हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित किए जा रहे इन मिसाइलों को सेना की जरूरत के अनुसार इसकी मारक सीमा को काफी बढ़ाया जा सकता है। दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने थल सेनाध्यक्ष के रूप में 2015 के आसपास इस मिसाइल प्रणाली के विकास को बढ़ावा दिया था।

रॉकेट फोर्स बनाने की दिशा में काम कर रहे रक्षा बल

रक्षा मंत्रालय के स्तर से मंजूरी मिलने के बाद अब इसके निर्माण और सशस्त्र बलों में शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। इस तरह की मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल लंबी दूरी की दुश्मन वायु रक्षा प्रणालियों और अन्य उच्च-मूल्य वाले मिसाइलों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। इन मिसाइलों को सशस्त्र बलों में शामिल करने के प्रस्ताव को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है जब रक्षा बल रॉकेट फोर्स बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को मार गिरा सके। चीनी सेना के पास पहले से ही रॉकेट फोर्स है।

 


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