
भारत की G20 की अध्यक्षता इन दिनों खूब चर्चा में हैं। दरअसल, हमारा देश पहली बार विश्व के सबसे शक्तिशाली समूह G20 की अध्यक्षता कर रहा है। बता दें भारत ने इसकी अध्यक्षता 1 दिसंबर 2022 को ग्रहण की है। चहूंओर ये शोर है कि G20 में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो एक 'अगुवा राष्ट्र' की भूमिका निभाएगा।
माकूल वक्त पर मिली G20 की अध्यक्षता
निश्चित रूप से भारत को G20 की अध्यक्षता एक ऐसे दौर में मिल रही है जो समसामयिक इतिहास में उतार-चढ़ावों से भरी है। पीएम मोदी के मुताबिक, 'भारत को G20 की अध्यक्षता एक ऐसे समय पर मिल रही है जब दुनिया में संकट और अफरातफरी का दौर है। दुनिया सदियों में एक बार आने वाली और उथल पुथल भरे मिजाज वाली महामारी के परिणामों से जूझ रही है, और इस समय संघर्षों के साथ-साथ आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है।'
ऐसे में भारत पूरी दुनिया के लिए एक अगुवा राष्ट्र की भूमिका निभाने को तैयार है, और यही वो वक्त है जब भारत पूरी दुनिया के लिए उम्मीद बन गया है ऐसे में ये घड़ी आने वाले वक्त में भारत की तकदीर बदलने वाली है। ऐसे में देश की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिहाज से भारत को G20 की अध्यक्षता बड़े ही माकूल वक्त पर मिल रही है।
दुनिया के समक्ष चुनौतियां बेशुमार
दुनिया के समक्ष तेजी से बदलते इस वक्त में बेशुमार चुनौतियां हैं, जिनमें कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन संघर्ष, अमेरिका-चीन टकराव और बहुपक्षीय व्यवस्था का कमजोर पड़ना आदि शामिल हैं। ये तमाम घटनाक्रम दुनिया को अभूतपूर्व रूप से प्रभावित कर रहे हैं। वहीं बुनियादी परिवर्तनों से पूरी दुनिया जूझ रही है। कोविड महामारी हो या यूक्रेन संघर्ष दोनों ने इन भीतरी बदलावों को और भी संगीन बना दिया है। इसका नतीजा यह रहा कि विश्व स्तर पर महंगाई तेजी से बढ़ने लगी जिसका दबाव आज सभी छोटे-बड़े देश झेल रहे हैं। वहीं खाद्य और ऊर्जा संकट और आर्थिक मोर्चे पर व्यापक गिरावट भी देखने को मिल रही है। ऐसे में नागरिकों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए दुनिया के राष्ट्र तेजी से अपने खजाने खाली कर रहे हैं। ऐसे में हम सतत विकास लक्ष्य यानि SDGs हासिल करने से कोसो दूर खड़े नजर आते हैं।
G20 ऐसा मंच जहां दुनिया की समस्याओं का समाधान
वैश्विक बिखराव के इस दौर में शायद पूरी दुनिया को यह आभास हो चुका है कि G20 ही शायद अपने किस्म का इकलौता ऐसा मंच बन सकता है जो एक हद तक इन तमाम चुनौतियों का समाधान तलाश सकता है। फिलहाल भारत इस समूह में सबसे मजबूत स्थिति में नजर आता है जबकि इस समूह में अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देश तक शामिल है। उसके बावजूद आज सभी की नजर इन समस्याओं के समाधान के रूप में भारत पर टिकी है।
G20 समूह के सदस्य देशों में विश्व की कुल आबादी का 67 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है.वैश्विक जीडीपी में G20 का हिस्सा लगभग 85 प्रतिशत है और वैश्विक व्यापार में ये समूह 75 प्रतिशत से भी ज्यादा का योगदान देता है. लिहाज़ा इस संस्था में प्रभावी बहुपक्षीयवाद में हमारा भरोसा फिर से बहाल करने की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं. पहाड़ जैसी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए जिस तरह के नेतृत्व की दरकार है, इकलौता भारत ही आज उसे मुहैया कराने की स्थिति में है.
भारत की G20 की अध्यक्षता का लक्ष्य
भारत की G20 अध्यक्षता का लक्ष्य विश्व को मौजूदा ध्रुवीकरण वाली अवस्था से दूर, बेहतर सद्भाव वाली व्यवस्था की ओर ले जाना होगा। भारत एक बहु-सांस्कृतिक लोकतंत्र है। उसकी यही असलियत दुनिया में बेहद जुदा रुख रखने वाले विविध किरदारों को एकजुट करने में दिशानिर्देशक का काम करेगी।
G20 इंडिया की अवधारणा 'वसुधैव कुटुंबकम'
वैश्विक व्यवस्था को लेकर भारत की परिकल्पना-एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य, उसकी खुद की भूमिका को अमली जामा पहनाता है जो है ''वसुधैव कुटुंबकम''। भारत ने ये साबित किया है कि वो महज शिगूफों के भरोसे नहीं टिका है। याद हो साल 2020 में पहली बार कोविड के उभार के तत्काल बाद भारत ने एकजुट होकर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की जरूरत पर बल दिया था ताकि बेहद न्यूनतम संसाधनों में संघर्ष कर रहे लोगों की ज्यादा से ज्यादा मदद की जा सके। वहीं उस वक्त विकसित दुनिया ने अपना पूरा फोकस खुद पर लगा रखा था। कुछ देशों ने तो अपनी पूरी वयस्क आबादी को 5 बार डोज दिए जाने के बराबर टीके इकट्ठा कर रख लिए थे। अब विश्व व्यवस्था में मौजूद इस संकट के बीच एक बार फिर भारत इन्हीं चुनौतियों में छिपे अवसरों का लाभ उठा सकता है क्योंकि एक बार कोरोना महामारी पूरी दुनिया में उभार ले रही है।
G20 भले ही वैश्विक प्रशासन में मौजूद कमियों के इलाज के लिए रामबाण न हो लेकिन इस रास्ते की बाधाएं बेहद गंभीर हैं। ऐसे में इसे एक असरदार प्रबंधन की सबसे अधिक जरूरत है जो कैलिबर पूरी दुनिया भारत में देखती है। ऐसे में अब इस मंच से भारत की आवाज अनसुनी नहीं हो सकती। वहीं अब जबकि भारत खुद 2023 में G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है, तो अगले एक साल तक भारत के अलग-अलग शहरों और राज्यों में G20 के मंच की अलग अलग बैठकें आयोजित की जाएंगी। ऐसे में दुनिया को भारत को विश्व की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।