
आज स्टील का इस्तेमाल लगभग हर चीज में होता है। कार, हवाई जहाज, मशीनरी और इमारतों से लेकर वाशिंग मशीन और घरेलू सामान तक में स्टील का प्रयोग होता है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर ज्यादातर स्टील कोयले से चलने वाली ब्लास्ट भट्टियों में बनाया जाता है। जिससे वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का प्रदूषण होता है। इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारत के पहले ग्रीन स्टील ब्रैंड कल्याणी फेर्रेस्टा का शुभांरभ किया। ग्रीन स्टील के निर्माण में अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाता है। इस लेख में हम ग्रीन स्टील से जुड़े सभी पहलुओं को जानेंगे।
क्या होता है ग्रीन स्टील
स्टील के निर्माण में किसी भी अन्य भारी उद्योग की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन होता है। ग्रीन स्टील को जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बिना बनाया जाता है। इसका उत्पादन पारंपरिक कोयला आधारित संयंत्रों के बजाय हाइड्रोजन, बिजली जैसे कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके किया जाता है। अब इस्पात उत्पादन को कोयले से चलने वाली भट्टियों से हटाकर बिजली या हाइड्रोजन से चलने वाली भट्टियों में स्थानांतरित करने के प्रयास चल रहे हैं। "ग्रीन हाइड्रोजन" की मदद से इस्पात उद्योग के कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
ग्रीन स्टील की जरूरत क्यों है
वर्तमान में, इस्पात उद्योग ऊर्जा और संसाधन उपयोग के मामले में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के तीन सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्परिणाम का खतरा पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है। सरकारें और उद्योग कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए नई-नई नीतियां और खोज में लगे है। चूंकि Co2 का सबसे ज्यादा उत्सर्जन इस्पात उद्योग से होता है इसलिए इस पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। ग्रीन स्टील को बनाने में जीवशम ईंधन का प्रयोग नहीं होता इससे वातावरण में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम होता है। ग्रीन स्टील वातावरण और जलवायु परिवर्तन के लिहाज से आज के समय की जरूरत है।
भारत में ग्रीन स्टील
ग्रीन स्टील इस्पात उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव है। भारत कार्बन उत्सर्जन को समाप्त करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार ग्रीन स्टील विनिर्माण को प्रोत्साहन दे रही है। इस क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए, सरकार इस्पात के निर्माण के लिए ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने इस्पात उद्योग से शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए राष्ट्रीय इस्पात नीति बनाई है।
इस्पात किसी भी उभरती या विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक होने के साथ साथ एक जिम्मेदार इस्पात उत्पादक बनने की ओर भी अग्रसर है। इस्पात के क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए, सरकार इस्पात के निर्माण के लिए ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। ग्रीन स्टील का विनिर्माण जारी रहने के साथ भारत उन देशों में अग्रणी हो गया है जो कार्बन उत्सर्जन को समाप्त करने का लक्ष्य हासिल करने को प्रतिबद्ध है।